अकबर-बीरबल की कहानी : बीरबल की योग्यता | Birbal Ki Yogyata Story in Hindi

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एक दिन बीरबल की गैरमौजूदगी में साले साहब ने बादशाह अकबर से दीवान पद की मांग कर डाली। बादशाह ने साले साहब की परीक्षा लेने की सोची। उन्होंने साले साहब से कहा, “आज मुझे सुबह-सुबह महल के पीछे बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनाई दी है। लगता है कि किसी बिल्ली ने बच्चे दिए हैं, जाकर देखकर आओ कि यह बात सच है या नहीं।”

साले साहब झट से महल के पीछे गए और वापस आकर बोलते हैं, “आपकी बात सच है, महल के पीछे एक बिल्ली ने बच्चों को जन्म दिया है।”

बादशाह ने कहा, “अच्छा, जरा यह बताओ कि बिल्ली ने कितने बच्चों को जन्म दिया है?” साले साहब ने जवाब में कहा, “यह तो मुझे नहीं पता, मैं अभी पता करके आता हूं महाराज।”

इतना कहकर वो फिर से महल के पीछे गए और वापस आकर कहते हैं, “महाराज, बिल्ली पांच बच्चों की मां बनी है।”

बादशाह अकबर ने पूछा, “अच्छा, जरा यह बताओ कि उन पांच बच्चों में से कितनी मादा हैं और कितने नर हैं?” साले साहब ने जवाब में कहा, “मैंने यह तो देखा ही नहीं, मैं अभी देखकर आता हूं।” इतना कहकर वो फिर से महल के पीछे जाते हैं और थोड़ी देर बाद आकर कहते हैं, “महाराज, बिल्ली के पांच बच्चों में से तीन नर हैं और दो मादा हैं।”
बादशाह अकबर ने अपने साले साहब से फिर से एक सवाल पूछा, “बिल्ली के नर बच्चे किस रंग के हैं? सवाल के जवाब में साले साहब ने कहा, “मैं अभी देखकर आता हूं।” बादशाह अकबर ने कहा, “रहने दो, बैठ जाओ।”

इतने में बीरबल राज दरबार में पहुंच चुके थे। बादशाह ने बीरबल से कहा, “बीरबल, महल के पीछे बिल्ली ने बच्चों को जन्म दिया है, जरा देखकर आओ कि क्या यह बात सही है। बीरबल ने कहा, “मैं अभी देखकर आता हूं महाराज।” ऐसा कह कर वह महल के पीछे देखने के लिए चले गए।

वापस लौट कर बीरबल ने बादशाह अकबर को बताया, “महाराज, बिल्ली ने बच्चों को जन्म दिया है।”

बादशाह ने बीरबल से पूछा, “बिल्ली कितने बच्चों की मां बनी है?” बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज, पांच बच्चों की।”

बादशाह ने फिर से सवाल किया, “बिल्ली के बच्चों में से कितनी मादा हैं और कितने नर हैं?” बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज, तीन नर और दो मादा।”

बादशाह अकबर ने एक बार फिर से बीरबल से सवाल किया, “बिल्ली के नर बच्चे किस रंग के हैं?” बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज, दो नर बच्चों का रंग काला और एक का बादामी है।”

अब महाराज ने पास बैठे अपने साले साहब की तरफ देखा और पूछा, “तुम्हारा इस बारे में क्या कहना है?” साले साहब शर्मिंदगी से सिर झुकाए बैठे रहे और कुछ न कह सके।

कहानी से सीख :

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की सफलता से जलना नहीं चाहिए।

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