मुल्ला नसरुद्दीन और बेईमान काजी की कहानी | Mulla Nasruddin Aur Beiman Kaji

0

एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन किसी काम से बाजार गए थे। तभी अचानक एक अनजान व्यक्ति उनके सामने आता है और उन्हें थप्पड़ मार देता है। मुल्ला को कुछ समझ नहीं आता कि उन्हें किसने और क्यों थप्पड़ मारा। थप्पड़ मारने के बाद वह अनजान व्यक्ति उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगने लगता है। वह कहता है, “मुल्ला जी, मुझे माफ कर दीजिए। मैं किसी दूसरे को मारना चाहता था, लेकिन गलती से आपको थप्पड़ मार दिया।”

मुल्ला को उस अनजान व्यक्ति की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। वह इंसाफ के लिए उसी बाजार के एक काजी के पास उस अजनबी को लेकर चले गए। मुल्ला ने काजी को सारी बात विस्तार से बताई। उसी दौरान काजी और उस अनजान व्यक्ति के बीच में कुछ बातें हुईं। उन बातों को सुनकर नसरुद्दीन को लगा कि वो दोनों एक दूसरे को पहले से ही जानते हैं। फिर भी मुल्ला ने काजी से इंसाफ करने के लिए कहा।

तभी काजी ने उस अजनबी व्यक्ति से पूछा, “ क्या मुल्ला जो कह रहा है, वो सब सच है।” उस अनजान व्यक्ति ने काजी को बताया कि उसने बाजार में मुल्ला को कोई अन्य व्यक्ति समझकर गलती से थप्पड़ मार दिया था। यह सुनते ही काजी ने तुरंत फैसला सुनाते हुए कहा कि तुम्हें मुल्ला को थप्पड़ मारने का जुर्माना भरना होगा। काजी ने जुर्माने की रकम एक रुपये तय की।

मुल्ला इस फैसले से खुश नहीं थे। तभी काजी ने थप्पड़ मारने वाले व्यक्ति से कहा कि अगर तुम्हारे पास अभी पैसे नहीं हैं, तो तुम बाहर जाकर पैसे कमा सकते हो। जब पैसे इकट्ठे हो जाएं, तब दे देना। यह सुनकर मुल्ला को यकीन हो गया कि ये दोनों मिले हुए हैं, लेकिन मुल्ला कुछ नहीं कर सकते थे। वो यह फैसला सुनकर चुपचाप वहां से चले गए।

काफी समय बीतने के बाद भी वह थप्पड़ मारने वाला व्यक्ति वापस नहीं आया। अब मुल्ला के मन में हुआ कि वह वापस आने वाला नहीं है। यह सब काजी और उस आदमी की चाल थी। तभी मुल्ला ने काजी को सबक सिखाने का फैसला ले लिया।

मुल्ला तुरंत काजी के पास पहुंच गए। वहां काजी को देखते ही नसरुद्दीन पूछते हैं, “काजी साहब, क्या अनजान व्यक्ति को थप्पड़ मारने का जुर्माना सिर्फ एक रुपये होना सही है?” काजी झट से जवाब देते हुए कहता है कि हां, थप्पड़ के बदले एक रुपये का जुर्माना काफी है।

काजी का जवाब सुनते ही मुल्ला उसे जोड़ से एक थप्पड़ मार देते हैं। अचानक थप्पड़ पड़ने की वजह से काजी हैरान हो जाता है। मुल्ला नसरुद्दीन कहते हैं, “काजी साहब, जब भी वह थप्पड़ मारने वाला अनजान व्यक्ति लौटेगा उस पर लगाया गया एक रुपये का जुर्माना आप ले लीजिएगा।” इतना कहकर मुल्ला वहां से चले गए।

कहानी से सीख:

किसी के भी साथ छल करना व धोखा देना गलत है। जो जैसा करता है, उसे वैसा ही अनजाम भुगतना पड़ता है।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.